श्री सुंधा माताजी
- Published July 15, 2025
श्रेय
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श्री सुंधा माता मंदिर, राजस्थान के जालौर जिले की सुंधा पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर मां चामुंडा (मां दुर्गा का एक रूप) को समर्पित है। लगभग 900 वर्ष पुराना यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है और इसकी वास्तुकला माउंट आबू के दिलवाड़ा मंदिरों से मिलती-जुलती है। यहाँ पर 13वीं शताब्दी के शिलालेख भी संरक्षित हैं, जो इसे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व देते हैं।
स्थान और पौराणिक महत्व
समुद्र तल से लगभग 1,220 मीटर की ऊँचाई पर अरावली पर्वतमाला में स्थित यह मंदिर, जालौर जिले की रानीवाड़ा तहसील में आता है। यह भीनमाल से 20 कि.मी., रानीवाड़ा से 35 कि.मी. और माउंट आबू से 64 कि.मी. दूर है।
श्रद्धालु मानते हैं कि यह एक शक्ति पीठ है, जहाँ देवी सती की नासिका (नाक) गिरी थी, इसलिए इसे अघटेश्वरी भी कहा जाता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
इस मंदिर का निर्माण लगभग 900 वर्ष पूर्व देवला प्रतिहारों द्वारा करवाया गया था, जिसमें जालौर के चौहानों का भी सहयोग रहा।
मंदिर में तीन प्रमुख शिलालेख (सन् 1262, 1326 और 1727 ई.) संरक्षित हैं, जो स्थानीय राजवंशों की विजयों और इतिहास को दर्शाते हैं। इन्हें भारत के प्रमुख ऐतिहासिक अभिलेखों के समान ही महत्व दिया जाता है।
वास्तुकला और मूर्तिकला
संगमरमर से बने इस मंदिर की स्तंभनकला माउंट आबू के दिलवाड़ा मंदिरों की याद दिलाती है।
यहाँ माता चामुंडा का शिरोभाग (सिर) विराजमान है, जबकि शरीर का धड़ कोर्टा और चरण सुंधरला पाल में माने जाते हैं। मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश तथा एक प्राचीन भूर्भुवेश्वर शिवलिंग की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।
उत्सव और परंपराएँ
नवरात्रि में यहाँ विशाल मेले और अनुष्ठान होते हैं, जहाँ राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भक्त आते हैं।
प्रत्येक पूर्णिमा (पूर्नमासी) को विशेष दर्शन होते हैं, और वैशाख, भाद्रपद व कार्तिक महीनों में बड़े मेले आयोजित किए जाते हैं।
पहुँच और यात्री सुविधाएँ
मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 500 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं या फिर आप राजस्थान की पहली रोपवे सेवा का उपयोग कर सकते हैं। यह रोपवे लगभग 800 मीटर लंबा है और सिर्फ 6 मिनट में शिखर तक ले जाता है। इसका किराया उम्र और रूट के अनुसार ₹50–₹130 के बीच है।
मंदिर प्रतिदिन सुबह 5 बजे से सूर्यास्त (~8–9 बजे रात) तक खुला रहता है। यहाँ पर धर्मशालाएँ, भोजनालय और दृश्य स्थल जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
वन्यजीव अभयारण्य और प्राकृतिक सौंदर्य
मंदिर के आसपास लगभग 107 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ श्री सुंधा माता वन्यजीव अभयारण्य है। यहाँ भालू, नीलगाय, लकड़बग्घा, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर और 120 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
पास ही पहाड़ी से बहता हुआ एक झरना पूरे क्षेत्र की हरियाली और शांति को और बढ़ा देता है।
यात्रियों और फ़ोटोग्राफ़रों के लिए आकर्षण
- आध्यात्मिक मंदिर वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम।
- अरावली की चोटी से मिलने वाला 360° नजारा।
- त्योहारों के अलावा यह स्थान अपेक्षाकृत शांत रहता है, जो इसे शांतिपूर्ण तीर्थयात्रा और डॉक्यूमेंट्री/फ़ोटोग्राफ़ी के लिए उपयुक्त बनाता है।
- यह स्थल पौराणिक कथाएँ, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक छटा—तीनों को एक साथ प्रस्तुत करता है।
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