चन्द्रावती के खंडहर

चन्द्रावती

  • Published July 15, 2025

श्रेय

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चन्द्रावती राजस्थान के आबू रोड के पास, पश्चिम बनास नदी के किनारे बसी एक प्राचीन और समृद्ध नगरी थी। यह 7वीं से 15वीं सदी तक परमार शासकों के अधीन फली-फूली। यहाँ भव्य हिंदू और जैन मंदिर, बारीक संगमरमर की नक्काशी और उन्नत नगर योजना के लिए प्रसिद्धि थी।


ऐतिहासिक महत्व

  • यह नगर 7वीं से 15वीं शताब्दी तक आबू के परमार शासकों की राजधानी रहा।
  • 11वीं–12वीं सदी में यह अपने उत्कर्ष पर था और लगभग 18 मील के क्षेत्र में फैला हुआ था।
  • यहाँ कला, संस्कृति और राजनीति का बड़ा केंद्र था।
  • महमूद ग़ज़नी, कुतुबुद्दीन ऐबक और बाद में खिलजी शासकों के आक्रमणों के कारण इसका पतन हुआ।
  • 1405 ई. के आसपास सिरोही नगर की स्थापना होने पर चन्द्रावती का महत्व घटने लगा।

अवशेष और स्थापत्य

  • 2013–2018 की खुदाइयों में यहाँ दर्जनों हिंदू और जैन मंदिर, किलेबंद क्षेत्र, बावड़ियाँ और एक विशाल बसा हुआ नगर मिला।
  • संगमरमर की मूर्तियों, ताम्रपत्रों, मिट्टी के बर्तनों और औजारों से यहाँ की समृद्ध शिल्पकला और जैन संस्कृति का पता चलता है।
  • मंदिरों के खंभे, तोरण और सुंदर मूर्तियाँ कभी यहाँ की शान थे।
  • आज अधिकांश अवशेष नष्ट हो चुके हैं, लेकिन कुछ खंडित मूर्तियाँ और स्तंभ अब भी माछली माता (चन्द्रावती) और माउंट आबू के पास के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं।

सांस्कृतिक धरोहर

  • यहाँ पर कई जैन और शैव मंदिर बने थे, जिनमें मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली झलकती है।
  • मंदिरों के ऊँचे चबूतरे, भव्य तोरण और संगमरमर की मूर्तियाँ इस नगरी की समृद्ध कला को दर्शाती हैं।
  • चन्द्रावती कभी शिल्पकला, धार्मिक संस्कृति और जल प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण थी।

क्यों देखें / जानें चन्द्रावती?

  • फोटोग्राफरों और इतिहास प्रेमियों के लिए – यहाँ के खंडहर और खुला परिदृश्य एक अलग ही सौंदर्य और वैभव की याद दिलाते हैं।
  • विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए – यहाँ की खुदाई मध्यकालीन जैन संस्कृति, शिल्प परंपराओं और नगर योजना पर प्रकाश डालती है।

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