श्रेय
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हर साल प्रजापति/कुम्हार समाज द्वारा सुमेरपुर के श्री सरिया देवी मंदिर परिसर (जवाई नदी किनारे) में भव्य दो दिन का मेला आयोजित किया जाता है।
इस मेले में सिरोही, पाली और जालोर जिलों के प्रजापति समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर अपनी देवी माता की पूजा करते हैं और अपनी कला (मिट्टी के बर्तन बनाने की परंपरा) को गर्व से प्रस्तुत करते हैं।
मेले की खास बातें
- पारंपरिक वेशभूषा और सांस्कृतिक गर्व: समाज के लोग परंपरागत कपड़ों में शामिल होकर अपनी पहचान और एकता दिखाते हैं।
- भक्ति और आस्था: मेले का आयोजन मंदिर परिसर में होता है, जहां भक्ति और उत्सव दोनों का संगम देखने को मिलता है।
- सामूहिक उत्सव: सैकड़ों प्रजापति परिवार एकत्र होकर माता की पूजा, परंपरागत रस्में और सांस्कृतिक गतिविधियाँ मिलकर करते हैं।
क्यों है यह मेला खास?
यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि समाज की संस्कृति और पहचान को मजबूत करने वाला पर्व है।
- समुदाय की पहचान: सामूहिक पूजा और रस्मों के ज़रिए समाज में एकता और भाईचारा बढ़ता है।
- परंपरा का संरक्षण: मिट्टी के बर्तन बनाने की पुरानी कला और रीतियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रहती हैं।
- संस्कृति की पहचान: बदलते दौर में जब परंपरागत कलाएँ कम हो रही हैं, ऐसे मेले कुम्हार समाज की कला और संस्कृति को सामने लाते हैं।
सारांश
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| आयोजक | प्रजापति / कुम्हार समाज |
| स्थान | श्री सरिया देवी मंदिर परिसर, जवाई नदी किनारा, सुमेरपुर |
| अवधि | दो दिन हर साल |
| वेशभूषा | पारंपरिक समाजिक परिधान |
| शामिल परिवार | सिरोही, पाली और जालोर जिलों के प्रजापति परिवार |
| मुख्य फोकस | माता की पूजा, परंपरा का उत्सव और समाज का मिलन |