रेवदर

श्री सरेसी माता मेला

सिरोही जिले के रेवदर कस्बे में स्थित श्री सरेसी माता मंदिर में हर साल मेला लगता है। मेले के समय मंदिर को फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। दूर-दूर से आए दुकानदार झूले और तरह-तरह के दुकानें लगाते हैं। यह मेला रेवदर और आसपास के गांवों के लोग मिलकर मनाते हैं।
मेला मुख्य रूप से श्री सरेसी माता की पूजा और सम्मान के लिए आयोजित किया जाता है। माता को स्थानीय लोग रक्षक देवी मानते हैं, जिनसे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना की जाती है।

यह मेला अक्सर होली/होलिका दहन के समय (दो दिन बाद) आयोजित होता है। इस वजह से इसमें धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों रंग देखने को मिलते हैं—जहां होली की खुशियां होती हैं, वहीं माता की भक्ति और पूजा भी होती है। मेले में राजस्थानी लोक परंपराएं जैसे गैर नृत्य, भजन-कीर्तन और ग्रामीण मेले की गतिविधियां जीवित रहती हैं। यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक मिलन भी है जिसमें गांवों के लोग एकजुट होते हैं।

मुख्य आकर्षण और उत्सव

  • मंदिर फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है।
  • गैर नृत्य मेले का सबसे बड़ा आकर्षण है—पुरुष ढोल और झांझ की ताल पर पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते हैं।
  • सभी उम्र के लोगों के लिए झूले, हस्तशिल्प और खाने-पीने के दुकानें लगते हैं।
  • भक्त माता को चढ़ावा चढ़ाते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।
  • यह मेला सिर्फ सारेसी माता मंदिर तक सीमित नहीं है—पंचमुखी महादेव मंदिर में भी इसी समय आयोजन होते हैं।
  • स्थानीय लोग पारंपरिक कपड़ों में शामिल होते हैं, जिससे मेला और भी जीवंत और रंगीन हो जाता है।

सारांश

पहलूविवरण
कबहर साल होलिका दहन/होली के समय
कहाँश्री सरेसी माता मंदिर, रेवदर, सिरोही जिला, राजस्थान
मुख्य आकर्षणगैर नृत्य, लोक वेशभूषा, ढोल-झांझ की धुन
माहौलफूलों और लाइटों से सजा मंदिर, झूले, स्टॉल और भक्ति
अन्य आयोजनपंचमुखी महादेव मंदिर में भी समानांतर उत्सव

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